LiFi Technology: आप सभी अगर स्मार्टफोन या फिर कोई दूसरे स्मार्ट डिवाइस जैसे कि लैपटॉप आदि यूज करते होंगे तो आप उसमें वायरलेस डाटा ट्रांसफर करने के लिए WiFi का इस्तेमाल तो करते ही होंगे, और WiFi का इस्तेमाल आप अपने घर या फिर ऑफिस में इंटरनेट का इस्तेमाल करने के लिए भी करते होंगे।
लेकिन दोस्तों आज के इस आर्टिकल में हम आपको WiFi से भी 100 कदम आगे एक टेक्नोलॉजी के बारे में बताने वाले हैं, जिसकी स्पीड WiFi से लगभग 100 गुना ज्यादा और खर्चे WiFi से 10 गुना कम होने वाला है। तो आखिर क्या है LiFi Technology और यह कैसे काम करता है, चलिए जानते हैं।
आखिर क्या है ये LiFi Technology?
दोस्तों अगर बात करें उस टेक्नोलॉजी की, जो कि WiFi से भी आगे है, तो हम आपको बता दे कि उसे हम सभी LiFi के नाम से जानते हैं, आपने कभी ना कभी LiFi का नाम तो सुना ही होगा, अगर आपने नहीं सुना तो हम आपको बता दे कि इसका पूरा नाम Light Fidelity है, जो कि प्रकाश के माध्यम से डाटा का ट्रांसमिशन करने का काम करती है।
WiFi के बारे में आपको यह चीज तो मालूम ही होगी, कि WiFi रेडियो फ्रीक्वेंसी से डाटा को ट्रांसफर करता है, लेकिन वही अगर बात करें LiFi की, तो LiFi में आपको रेडियो फ्रीक्वेंसी से नहीं बल्कि लाइट की मदद से डाटा ट्रांसफर होते देखने को मिलने वाला है।
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Wifi से 100 गुना तेज होगी ये टेक्नोलॉजी
अगर बात करें LiFi की, तो LiFi एक ऐसी टेक्नोलॉजी है, जो की स्पीड के मामले में WiFi को पूरी तरह से पछाड़ने वाली है, क्योंकि इसकी स्पीड WiFi से लगभग 100 गुना तेज होने वाली है, और इतना ही नहीं LiFi का खर्च भी वाईफाई से 10 गुना कम होने वाला है। साथ ही इसमें आपको 10 मीटर तक की रेंज भी मिलेगी।
LED Bulb का करना होगा इस्तेमाल
LiFi की डाटा ट्रांसमिशन की स्पीड लगभग 1GPPS होने वाली है, और इसकी सबसे खास बात यह है कि इसके लिए आपको एक LED बल्ब का इस्तेमाल करना होगा, जो की एक सेकंड में लाखों बार टिमटिमा कर डाटा को ट्रांसमिशन करने का काम करेगी, जिसके वजह से हमें लगेगा कि बल्ब जल रहा है।
LiFi की मदद से आप बिना किसी दूसरे व्यक्ति से इंटरनेट शेयर के बिना इंटरनेट का इस्तेमाल कर सकते हैं, क्योंकि इस एलइडी लाइट की Frequency रेडियो Frequency की तरह दीवाल के आर पर नहीं जा सकता। यही इसकी एक सबसे बड़ी समस्या भी है, कि इसका इस्तेमाल सिर्फ वही किया जा सकता है जहां इसके एलइडी लाइट लगे हो।
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इन सभी जगह में हो सकेगा इसका इस्तेमाल
बता दे कि यह टेक्नोलॉजी सन 2011 में हमारे दुनिया के सामने आई थी, जहां जर्मनी के एक प्रोफेसर Professor Harald Haas ने इसे लोगों के सामने पेश किया था। इस टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल उन जगहो में किया जा सकता है जहां पर हम WiFi का इस्तेमाल नहीं कर सकते, जैसे की स्पेस स्टेशन, में या फिर अंडरवाटर में, इसी के साथ इसका इस्तेमाल उन जगहों में भी किया जा सकता है, जहां रेडियो सिग्नल में रुकावट का सामना करना पड़ता है।
तो यह थी LiFi Technology, जिसे देखने से तो यही लगता है कि है आने वाले समय में यह WiFi का काम तमाम कर सकती है, अब तो यह आने वाले समय में ही पता चलेगा, कि यह WiFi को पछाड़ पाएगी या नहीं।
LiFi Technology Full Form
LiFi Technology की फुल फॉर्म “Light Fidelity” है